अक्सर कहा जाता है कि आलस बुरा होता है, लेकिन यह 100 प्रतिशत सही नहीं, क्योंकि साइंस भी मानता है कि कुछ हद तक आलसी होना दिमाग और सेहत दोनों के लिए ही अच्छा है। चलिए जानते हैं कि आलसी होने के फायदों के बारे में:
बर्नआउट वह स्थिति होती है जब व्यक्ति मानसिक और शारीरिक रूप से इतना थक जाता है कि उसके पास कुछ और करने की हिम्मत ही नहीं रह जाती। आलसी लोग इस स्थिति का सामना कम करते हैं क्योंकि कैसे भी खुद को रिलैक्स करने के तरीके ढूंढ ही लेते हैं।
बर्नआउट के साथ ही आलस स्ट्रेस को मैनेज करने में भी मदद करता है। दरअसल, ऐसे लोग जो लेजी की कैटिगरी में आते हैं वे चीजों को ज्यादा रिलैक्स्ड तरीके से करते हैं, इससे उन्हें तनाव या ऐंग्जाइटी की परेशानी से नहीं जूझना पड़ता।
लेजी लोग दिमागी रूप से रिलैक्स्ड होते हैं जिससे उन्हें सोने में दिक्कत नहीं आती। यह उन्हें नींद न आने की परेशानी से दूर रखते हुए शरीर के इम्यून सिस्टम को हेल्दी बनाता है।
नींद न होना और स्ट्रेस खाने की इच्छा मारने के साथ ही पाचन प्रक्रिया को बुरी तरह प्रभावित करता है। वहीं आलसी लोग प्रॉपर नींद और स्ट्रेस से दूरी होने के कारण इन समस्याओं से भी फ्री रहते हैं।
स्टडी के मुताबिक, ऐसे लोग जो लेजी होते हैं उनका फोकस उन लोगों के मुकाबले ज्यादा बेहतर होता है जो आराम किए बगैर काम में लगे रहते हैं। ऐसे लोग ज्यादा क्रिएटिव भी होते हैं। ऐसा माइंड के रिलैक्स्ड होने के कारण होता है, जिससे वह फोकस करने के साथ ही नए आइडियाज भी सोच पाते हैं।
नींद पूरी होना, स्ट्रेस से दूरी होना, शरीर के रिलैक्स्ड होना इमोशन्स को भी स्टेबल रखने में मदद करते हैं। यह प्रूव हो चुका है कि ऐसे लोग जो स्ट्रेस में या नींद की कमी से जूझते हैं उन्हें इमोशन्स से संबंधित कई समस्याओं से जूझना पड़ता है।
इमोशनली स्टेबल होने के कारण आलसी लोग रिलेशनशिप में भी बेहतर होते हैं। ऐसा इसलिए भी होता है क्योंकि आलस के कारण वे अनचाहे में ही सही लेकिन अपने पार्टनर को खुद के लिए पर्याप्त समय निकालने का मौका देते हैं। साथ ही एक जगह बैठकर लंबी बातें करना भी आलसी लोगों के लिए बड़ी बात नहीं है, जो उन्हें पार्टनर की बातें ध्यान से सुनने और उनके साथ बेहतर तरीके से इमोशनली कनेक्ट होने में मदद करता है।