कैंसर एक ऐसा शब्द है, जिसे सुनते ही दिलोदिमाग कांपने लगता है। रिपोर्ट्स के अनुसार, दुनिया में होने वाली मौतों के मुख्य कारणों में से एक कैंसर है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कैंसर से जुड़ी कई ऐसी बातें फैली हुई हैं जो बिल्कुल गलत हैं, पर लोग उन्हें सच मान लेते हैं। आइए आपको ऐसे ही मिथक और उनके सच के बारे में बताते हैं:
मिथक: ज्यादा शुगर लेंगे तो कैंसर उतना ही खतरनाक रूप लेगा।
सच: ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। कैंसर सेल्स के अलावा शरीर के अन्य सेल्स भी एनर्जी के लिए ग्लूकोज पर ही निर्भर होते हैं। लेकिन ऐसा नहीं है कि ज्यादा ग्लूकोज या शुगर लेने से कैंसर सेल्स को अधिक एनर्जी मिलेगी और वे तेजी से बढ़ने लगेंगे। और न ही इस बात का प्रमाण है कि अगर ग्लूकोज लेना बंद कर दिया जाए तो कैंसर सेल्स की ग्रोथ रुक जाएगी। कैंसर रिसर्च यूके के अनुसार, अभी तक ऐसी कोई स्टडी या प्रमाण सामने नहीं आया है, जिसमें कहा गया हो कि शुगर फ्री डायट से कैंसर का रिस्क घट जाता हो।
मिथक: कैंसर छूने से फैलता है।
सच: यह एकदम भ्रामक बात है, जिस पर ज्यादातर लोग विश्वास कर लेते हैं। अगर कोई व्यक्ति कैंसर से पीड़ित है तो वे उसके पास जाने से भी कतराते हैं। हालांकि कुछ प्रकार के कैंसर ऐसे होते हैं जो कि विभिन्न प्रकार के वायरस और बैक्टीरिया से फैलते हैं। जैसे कि सर्विकल, लिवर और पेट का कैंसर। cancer.gov के अनुसार, कैंसर कभी भी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में छूने से नहीं फैलता। यह सिर्फ ऑर्गन या फिर टिशू ट्रांसप्लांटेशन के केस में ही संभव है।
मिथक: परिवार में किसी एक को कैंसर, मतलब सभी को कैंसर
सच: अगर फैमिली हिस्ट्री में किसी एक व्यक्ति को कैंसर रहा है तो फिर उस परिवार में अन्य सदस्यों में कैंसर होने का रिस्क बढ़ जाता है। लेकिन आमतौर पर ऐसा नहीं होता।
मिथक: डिओडोरेंट लगाने से हो सकता है ब्रेस्ट कैंसर
सच: नैशनल कैंसर इंस्टिट्यूट के अनुसार, अभी तक ऐसा कोई सबूत सामने नहीं आया है जिसके आधार पर यह कहा जा सके कि डिओडोरेंट लगाने से ब्रेस्ट कैंसर होता है। हालांकि कुछ रिपोर्ट्स जरूर ऐसी हैं, जिनमें कहा गया कि डिओडोरेंट में मौजूद ऐल्युमिनियम कंपाउंड्स और पैराबेन स्किन के जरिए शरीर में प्रवेश कर जाते हैं और काफी नुकसान पहुंचाते हैं।
मिथक: आर्टिफिशल स्वीटनर से होता है कैंसर
सच: cancer.gov के अनुसार, शोधकर्ताओं ने आर्टिफिशल स्वीटनर्स की सुरक्षा को मापने के लिए उन पर कई तरह के परीक्षण किए और उन्हें ऐसा कोई तत्व नहीं मिला जिससे साबित हो सके कि आर्टिफिशल स्वीटनर का सेवन करने से किसी भी प्रकार का कैंसर होता है।